नई दिल्ली: 2007 टी-20 वर्ल्ड कप () के खिताबी मुकाबले के आखिरी ओवर में पाकिस्तान को जीत के लिए 13 रन चाहिए थे, जबकि भारत को जीत के लिए एक विकेट। (Misbah-ul-Haq) गजब की बैटिंग कर रहे थे। भारतीय फैंस की सांसे अटकी हुई थीं। जोगिंदर शर्मा (Joginder Sharma) के हाथ में गेंद थी और ऐसा लग रहा था कि पाकिस्तान जीत जाएगा, तभी मिस्बाह गलती कर बैठे। उन्होंने स्कूप शॉट खेला और श्रीसंत ने एक आसान कैच लपक लिया। भारतीय टीम ने इतिहास रच दिया था। वही पहली बार आयोजित टी-20 वर्ल्ड कप का पहला चैंपियन बना था। मिस्बाह उल हक ने स्कूप शॉट क्यों खेला था और उनके मन में क्या चल रहा था? इन सभी बातों का जवाब दिया है। उन्होंने बताया कि वह उस वक्त शायद ओवरकॉन्फिडेंट थे और इसी चक्कर में गलती कर बैठे। भारत यह खिताबी मुकाबला 5 रन से जीता था। 14 से अधिक वर्षों के बाद मिस्बाह ने स्वीकार किया कि स्कूप शॉट के प्रयास में वह अति आत्मविश्वास हो सकता है। पाकिस्तान टीम के पूर्व साथी और मोहम्मद यूसुफ के साथ बातचीत में मिस्बाह ने टी 20 विश्व कप फाइनल (2007) और एकदिवसीय विश्व कप सेमीफाइनल (2011) में भारत से मिली हार के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा- 2007 में मैं हमेशा कहता हूं कि हर खेल में मैंने उस शॉट को खेलते हुए इतने चौके लगाए। यहां तक कि फाइन लेग के साथ भी मैं ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उस शॉट को खेलते हुए सिंगल ले रहा था। स्पिनरों के खिलाफ मैं उस शॉट से फाइन लेग पर खूब रन बना रहा था तो आप कह सकते हैं कि मुझे अति आत्मविश्वास हो गया था। मैंने उस शॉट को गलत बताया जिस पर मुझे सबसे ज्यादा भरोसा था। इसके बाद उन्होंने 2011 विश्व कप में मोहाली में भारत के खिलाफ सेमीफाइनल के बारे में बात करते हुए कहा कि टीम ने पारी के अंतिम पांच ओवरों में बल्लेबाजी पावरप्ले में पासा पलटने वाली बात की थी, लेकिन प्लान काम नहीं किया। उन्होंने कहा- 2011 में मोहाली की उस पिच पर भारत ने 4 ओवरों में 44 (39/0) का स्कोर बनाया था। जब गेंद पुरानी हो गई तो रन बनाना मुश्किल हो गया। सचिन ने 80-कुछ (85) रन बनाए और वह मैन ऑफ द मैच रहे। भारत उस शुरुआत के बाद संघर्ष कर रहा था। मिस्बाह ने कहा- यहां तक कि हमने पहले 15 ओवरों में लगभग 80 रन बनाए थे, केवल एक विकेट खोकर। अगले कुछ ओवरों में हमने मुश्किल से रन बनाए और तीन विकेट गंवाए। एक छोर पर युवराज थे, दूसरे छोर पर हरभजन और फिर तेज गेंदबाज भी आए। पूरे विश्व कप में हम बल्लेबाजी पावरप्ले में खूब स्कोर कर रहे थे। सोचा था कि अगर हमें अंतिम 10 ओवरों में 100 रन चाहिए तो भी हमारे पास पांच ओवर का बल्लेबाजी पावरप्ले था। अगर हमारे हाथ में विकेट होते तो हम आसानी से उसका पीछा कर सकते थे। पावरप्ले के आखिरी पांच ओवर में मैं अकेला खड़ा था और मुझे सिर्फ 2 ओवर खेलने को मिले। हम 20-22 रन से खेल हार गए और मैंने पावरप्ले के तीन ओवर बिल्कुल नहीं खेले। दूसरे छोर पर कोई बल्लेबाज नहीं था।
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