नई दिल्ली रवि शास्त्री (Ravi Shastri) भले ही टीम इंडिया से दूर हो गए हों बावजूद इसके इस पूर्व हेड कोच ने (Virat Kohli) की जमकर प्रशंसा की है। विवादों के बीच कोहली एंड कंपनी दक्षिण अफ्रीका दौरे पर पहुंची है। ऐसे में शास्त्री ने कोहली को टेस्ट का बेस्ट कप्तान बताया और विराट में अपनी छवि देखने की बात कही है। यकीनन इससे कोहली का मनोबल बढ़ेगा। हालांकि शास्त्री के अलावा पूर्व कप्तान दिलीप वेंगसरकर और पूर्व क्रिकेटर संजय मांजरेकर को भी लगता है कि विराट बनाम बीसीसीआई मामले को इससे बेहतर तरीके से हैंडल किया जाना चाहिए था। वेंगसरकर और मांजरेकर का कहना है कि यह मामला विराट बनाम बीसीसीआई चीफ सेलेक्टर के बीच था। विराट की कप्तानी में भारतीय टीम इस समय साउथ अफ्रीका () दौरे पर है जहां उसे 3 टेस्ट मैचों की सीरीज खेलनी है। सीरीज का पहला टेस्ट 26 दिसंबर से सेंचुरियन में खेला जाएगा। विवादों के साथ कोहली एंड कंपनी साउथ अफ्रीका पहुंची है। टेस्ट सीरीज के बाद दोनों टीमों के बीच 3 मैचों की वनडे सीरीज खेली जाएगी। रवि शास्त्री ने इंडियन एक्सप्रेस के ई-अड्डा में कहा, ' विराट के साथ मेरा रिलेशनशिप शानदार था। एक विचार वाले दो लोग अपना-अपना काम कर रहे थे। मैं विराट के अंदर खुद को देखता हूं। आगे बढ़ने का जुनून, भूख और आत्मविश्वास। इसमें कोई शक नहीं कि विराट टेस्ट के बेस्ट कैप्टन हैं। दुनिया का कोई भी कप्तान इस तरह के जुनून से आगे नहीं बढ़ता' दूसरी ओर शास्त्री ने कहा कि विराट कोहली की वनडे कप्तानी के मसले को बेहतर तरीके से हैंडल किया जा सकता था। शास्त्री ने कहा कि कोहली ने अपने हिस्से की बात साफ-साफ बता दी है और अब बारी बीसीसीआई अध्यक्ष सौरभ गांगुली (Sourav Ganguly) की है। साउथ अफ्रीका दौरे पर रवानगी से पहले कोहली का दिया बयान गांगुली की बात से काफी अलग था। बीसीसीआई अध्यक्ष ने बीते दिनों कहा था कि उन्होंने खुद विराट कोहली से अनुरोध किया था कि वह टी20 टीम की कप्तानी नहीं छोड़ें लेकिन कोहली ने उनकी बात नहीं मानी। हालांकि भारतीय टीम जब साउथ अफ्रीका दौरे के लिए रवाना हो रही थी तो उससे पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोहली ने कहा कि उन्हें ऐसा कभी नहीं कहा गया। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि वनडे की कप्तानी से उन्हें हटाए जाने का फैसला भी टीम की घोषणा से डेढ़ घंटा पहला सुनाया गया। इस मामले पर शास्त्री ने कहा, ' कोहली ने अपना पक्ष रख दिया है, अब बोर्ड अध्यक्ष ( सौरभ गांगुली) को अपना पक्ष सामने रखना होगा। अगर संवाद अच्छा रहता तो इस मामले में चीजों को ज्यादा बेहतर तरह से सुलझाया जा सकता था।'
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