जब रवि कुमार के पिता को लोग देते थे ताना... CRPF जवान ने बताई बेटे के संघर्ष की कहानी

नई दिल्ली: CRPF जवान के बेटे और बांए हाथ के तेज गेंदबाज (Ravi Kumar) अंडर-19 वर्ल्ड कप-2022 (U19 World Cup) के क्वॉर्टर फाइनल में 14 रन देकर 3 विकेट झटकते हुए बांग्लादेश (IND beat BAN) की बैटिंग की रीढ़ तोड़ दी। उनके दमदार प्रदर्शन के दम पर भारत ने यह मैच 5 विकेट से जीता। उनके इस घातक प्रदर्शन के बाद रवि के पिता रजिंदर (Ravi Father Rajinder Kumar) के फोन की घंटी बंद होने का नाम ही नहीं ले रहीं। न केवल उनके करीबी दोस्त, रिलेटिव, बल्कि सीनियर्स भी उन्हें बधाइयां देते दिखे। यूनिट में जो लोग उन्हें जानते नहीं थे अब वह उनसे बात करना चाहते हैं। वह कहते हैं- कल तक तो कोई रजिंदर को यहां जनता नहीं था। आज सब साहब जानते हैं... सभी अधिकारियों ने मुझे फोन किया और बधाई दी। मेरे पास अपनी खुशी व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा- इस खास दिन तक पहुंचने के लिए पिता-पुत्र की जोड़ी को कई बाधाओं को पार करना पड़ा। मेरे कुछ दोस्त मुझे ताना मारते थे कि मैं बेटे को वह मुकाम नहीं दे पाऊंगा, लेकिन आज उनमें से कुछ मुझे बधाई देते दिखे। वह बताते हैं कि उनकी मां अपने बेटे के हर समय क्रिकेट खेलने को लेकर चिंतित रहती थीं, और चाहती थीं कि वह पढ़ाई पर ध्यान दें और डिग्री हासिल करें। रवि बेफिक्र होकर उससे कहता- आज आप मुझे रोक रही हैं, एक दिन ऐसा आएगा की आप मुझे टीवी पर देखेंगे। रजिंदर को यह बात उस वक्त याद आ गई, जब वह CRPF कैंप में मोबाइल पर बेटे को अपनी घातक गेंदबाजी से बांग्लादेश को चीरते दिख रहे थे। उन्होंने कहा कि मेरे पास न तो अधिक पैसे थे और न ही संसाधन, लेकिन बेटे का सपना और उसकी प्रतिबद्धता अटल थी। मैंने उससे कहा था कि अगर तुम्हारे अंदर दम है तो इंडिया के लिए जरूर खेलोगे। अंडर-19 वर्ल्ड कप में खेलने से पहले रवि को कई बार असफलताओं का सामना करना पड़ा, लेकिन वह नहीं टूटे। एक बार तो रवि ने कानपुर में चयन ट्रायल के बाद अपने पिता को फोन किया और उन्हें बताया कि उन्होंने राज्य के अंडर-16 टीम में जगह के लिए रिश्वत के बारे में सुना है। यहां उनके एक पड़ोसी ने उनकी मदद की। उन्होंने कोलकाता में अपने घर रवि को रहकर बंगाल के लिए खेलने दिया। बंगाल के लिए खेलना ही रवि के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। रवि अपने पिता से प्रेरित होते हैं। रवि ने एक बार कहा था- कभी-कभी विचार आते हैं कि यार, ये तो बहुत कठिन है, लेकिन फिर मैं अपने पिता के बारे में सोचता हूं। उनके काम से ज्यादा और क्या मुश्किल हो सकता है (उनकी नौकरी से मुश्किल क्या हो सकता है)? हर दिन, वह जंगल के अंदर जाते हैं और उनके साथ कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है। एक रोचक बात यह है कि रवि कभी वायु सेना में शामिल होना चाहते थे, लेकिन स्थानीय कोच अरविंद भारद्वाज के मार्गदर्शन में मजे के लिए खेलते-खेलते कब क्रिकेट को अपना पैशन बना दिया पता ही नहीं चला। रजिंदर बताते हैं कि कई बार उन्हें ताना मारा जाता था। मैंने अपने दोस्तों में से कुछ यह कहते हुए सुना कि मैं ज्यादा कुछ नहीं कर पाऊंगा। मैंन इसे जीवन के सबक के रूप में लिया। एक चीज जो मैंने सीखी है वो ये कि आखिर तक सिर्फ परिवार ही आपके साथ रहता है। भारत को अब सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से भिड़ना है। उम्मीद है रवि अपना करिश्माई प्रदर्शन यहां भी जारी रखेंगे।


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