असम से पहली महिला खिलाड़ी, किक-बॉक्सिंग से शुरुआत, तोक्यो ओलिंपिक में दूसरा मेडल पक्का कर कर दिया कमाल

नई दिल्ली भारतीय मुक्केबाज लवलीना बोर्गोहेन ने में भारत के लिए एक और पदक पक्का कर लिया है। उन्होंने क्वॉर्टर फाइनल में चीनी ताइपे की मुक्केबाज चिन चेन को हराकर कम से कम कांस्य पदक पक्का कर लिया है। आइए जानते हैं इस मुक्केबाज के बारे में खास बातें। लवलीना का जन्म असम के गोलाघाट जिले में 2 अक्टूबर 1997 को हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक किक-बॉक्सर के रूप में की थी। उनकी दोनों बहनें किक-बॉक्सर हैं। उनके पिता एक छोटे व्यापारी हैं ऐसे में उनके लिए अपनी बेटी के ख्वाब को पूरा करना काफी संघर्षपूर्ण था। हालांकि लवलीना ने खुद ही इस मौके का फायदा उठाया। जब स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के ट्रायल उनके स्कूल में हुए तो उन्होंने काफी प्रभावित किया। साई मे सिलेक्ट होने के बाद पदम बोरो ने उन्हें साल 2012 में ट्रेनिंग देनी शुरू की। उन्होंने बॉक्सिंग अकादमी में ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी। इंटरनैशनल स्टेज पर पहुंचने केबाद उन्हें भारतीय महिला बॉक्सिंग के मुख्य कोच शिव सिंह ने ट्रेनिंग दी। लवलीना ने पहले इंडिया ओपन में वॉल्टरवेट में गोल्ड मेडल जीता। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता थी। इसके बाद उन्होंने वियतनाम में एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। साथ ही अस्थाना में हुए प्रेजिडेंट कप में भी उन्होंने जीत हासिल की। लवलीना ने बाद में उलानबातर कप (मंगोलिया) में सिल्वर मेडल हासिल किया। इसके साथ ही उन्होंने AIBA वुमन वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भी ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। इसके साथ ही वह असम से ओलिंपिक से क्वॉलिफाइ करने वाली पहली महिला खिलाड़ी हैं। 2018 गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में पहली बार मीडिया का ध्यान उन पर गया। खबर आई थी कि उन्हें सिलेक्शन के बारे मे आधिकारिक रूप से सूचना नहीं दी गई थी जबकि स्थानीय न्यूज चैनल ने यह खबर दी। लवलीना को बॉक्सिंग में उनके योगदान के लिए अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित भी किया गया।


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