क्रिकेट फैन प्रागनंदा को बहन की आदत ने बनाया शतरंज का 'किंग', 16 की उम्र में रचा इतिहास

चेन्नई: ‌‌वर्ल्ड चैंपियन (World Champion Magnus Carlsen) को हराकर सभी को हैरान करने वाले आर (Rameshbabu ) की शतरंज यात्रा उस समय शुरू हुई जब अधिकांश बच्चों को पता भी नहीं होता कि वह जीवन में क्या कर रहे हैं। मात्र तीन साल की उम्र में प्रागनंदा इस खेल से जुड़ गए थे। बैंक में काम करने वाले पोलियो से ग्रसित पिता रमेशबाबू और मां नागलक्ष्मी चिंतित थे कि प्रागनंदा की बड़ी बहन वैशाली टीवी देखते हुए काफी समय बिता रही है। वैशाली को शतरंज से जोड़ने के पीछे यह कारण था कि उन्हें कार्टून शोज से दूर किया जा सके। बड़ी बहन के साथ-साथ प्रागनंदा में भी चेस पसंद आने लगा। महिला ग्रैंडमास्टर 20 साल की वैशाली ने कहा कि शतरंज में उनकी रुचि एक टूर्नामेंट जीतने के बाद बढ़ी और इसके बाद उनका छोटा भाई भी इस खेल को पसंद करने लगा। चेन्नई के प्रागनंदा ने 2018 में प्रतिष्ठित ग्रैंडमास्टर खिताब हासिल किया। वह यह उपलब्धि हासिल करने वाले भारत के सबसे कम उम्र के और उस समय दुनिया में दूसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी थे। वैशाली ने बताया कि प्रागनंदा को क्रिकेट पसंद है और उसे जब भी समय मिलता है तो वह मैच खेलने के लिए जाता है। शानदार प्रदर्शन जारी उधर, प्रागनंदा का एयरथिंग्स मास्टर्स ऑनलाइन रैपिड चेस टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन जारी है। वर्ल्ड नंबर वन कार्लसन को हराने के एक दिन बाद उन्होंने दो और बाजियां जीती। उन्होंने 10वें और 12वें दौर में क्रमश: ग्रैंडमास्टर आंद्रे एस्पिेंको और अलेक्सांद्रा कोस्तानियुक को हराया। इस 16 वर्षीय भारतीय खिलाड़ी को नोदरिबेक अब्दुसतोरोव से बाजी ड्रॉ खेलनी पड़ी और रूसी ग्रैंडमास्टर इयान नेपोमनियाची से हार झेलनी पड़ी। प्रागनंदा दो जीत और एक ड्रॉ के बावजूद 15 अंकों के साथ 12वें स्थान पर बने हुए हैं। उन्होंने अपने से अधिक रेटिंग के रूसी खिलाड़ी एस्पिेंको को 42 चाल में हराया। इससे पहले उन्होंने दिन की शुरुआत अब्दुसतोरोव से बाजी ड्रॉ खेलकर की थी। नेपोमनियाची से हार झेलने के बाद प्रागनंदा ने पूर्व महिला विश्व चैंपियन कोस्तानियुक को 63 चाल तक चली बाजी में हराया। उधर, कार्लसन ने प्रागनंदा से मिली हार के बाद वापसी करते हुए दो जीत हासिल की जबकि एक बाजी उन्होंने गंवाई।


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