नई दिल्ली न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन ने मंगलवार को पाकिस्तान के खिलाफ हार के बाद माना कि की टीम इस टूर्नमेंट को जीतने की प्रबल दावेदार है। पाकिस्तान ने अभी तक दो मैच खेले हैं और दोनों में जीत हासिल की है। वह ग्रुप में टॉप पर है। पाकिस्तान की टीम अब सेमीफाइनल में लगभग पक्की नजर आ रही है। हालांकि टूर्नमेंट शुरू होने से पहले ऐसा नहीं था। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड में मची हलचल और सपोर्ट स्टाफ में तब्दीली के बाद तो पाकिस्तान टीम की हालत खराब थी। लेकिन पाकिस्तान के लिए चीजें बहुत तेजी से ठीक हुईं। हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया ने उन कारणों को परखा है जिनकी वजह से 2009 की चैंपियन टीम इतनी मजबूत दिख रही है। पाकिस्तान की टीम बीते दो एडिशन से हालांकि सेमीफाइनल तक नहीं पहुंच पाई थी... विदेशी मैदान बने घरेलू साल 2009 में श्रीलंकाई टीम पर पाकिस्तान के लाहौर शहर में आतंकवादी हमला हुआ। इसके बाद पाकिस्तान में विदेशी टीमों का आना बिलकुल बंद हो गया। बाद मुद्दत के वहां अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत तो हुई। हालांकि अभी हाल ही में न्यूजीलैंड की टीम ने मैच शुरू होने से पहले ही अपना दौरा बीच में ही छोड़ दिया। इसके बाद इंग्लैंड ने भी पाकिस्तान का दौरा रद्द कर दिया। जब से पाकिस्तान में विदेशी टीमों ने आने से इनकार कर दिया तब से यूएई उसका घरेलू मैदान बन गया। हालांकि यह बहुत अच्छी परिस्थिति नहीं थी लेकिन भारतीय टीम का घरेलू टूर्नमेंट पाकिस्तान का घरेलू टूर्नमेंट बन गया। यूएई में पाकिस्तान टीम के लिए सपॉर्ट बहुत है और साथ ही बीते 5 साल में वह लगातार 13 मैच इस देश में जीती है। मुश्किल से उभरना का इतिहास रहा है कि जब भी वह मुश्किल में होती है तो उबर कर बेहतर प्रदर्शन करती है। साल 1992 के 50 ओवर वर्ल्ड कप में टीम में कई मतभेद थे। इसके साथ ही वकार यूनिस जैसा खिलाड़ी चोटिल था। साल 2009 के टी20 वर्ल्ड कप में टीम लाहौर में श्रीलंका टीम पर हुए आतंकवादी हमले से दौर से गुजरी थी। इसके साथ ही मुख्य चयनकर्ता अब्दुल कादिर ने शोएब अख्तर को टीम में नहीं शामिल किए जाने के मुद्दे पर इस्तीफा दिया था। इस बार भी कोच- मिसबाह-उल-हक और वकार यूनिस ने वर्ल्ड कप ने इस्तीफा दे दिया। उन्हें ऐसी उम्मीद थी कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के नए अध्यक्ष रमीज राजा उन्हें हटा देंगे। हालांकि रमीज, जिनका अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में काफी सम्मान है, ने मैथ्यू हेडन और वेर्नन फिलैंडर को टीम के साथ जोड़ा। और टीम को इसका फायदा होता भी दिख रहा है। बाबर की मनपसंद टीम यह बहुत अहम होता है कि एक कप्तान को उसकी पसंद की टीम मिले। और आखिर बाबर के साथ ऐसा हुआ। 15 सदस्यीय टीम में अंतिम समय पर तीन बदलाव किए गए। इनमें से एक फखर जमां ने अभी तक दोनों मैच खेले हैं। बाबर और मोहम्मद रिजवान ने साल 2021 की शुरुआत से सलामी जोड़ी की भूमिका संभाली है और यह अभी तक बहुत अच्छा काम कर रही है। इस जोड़ी का औसत 67.30 का है। गेंदबाजी भी संतुलित लग रही है और शाहीन शाह अफरीदी इस बोलिंग आक्रमण के अगुआ लग रहे हैं। शोएब मलिक और मोहम्मद हफीज का अनुभव मलिक शायद क्रिस गेल के अलावा एकमात्र ऐसे खिलाड़ी होंगे जिन्होंने 1990 के दशक में अपना अंतरराष्ट्रीय डेब्यू किया था। मलिक ने खुद को फिट रखा है। वह खेल को अच्छी तरह समझते हैं। वह काफी अंडर-रेटेड फिनिशर हैं। रनों का कामयाबी से पीछा करते हुए वह 18 बार नाबाद रहे हैं। यह टी20 में एक वर्ल्ड रेकॉर्ड है। न्यूजीलैंड के खिलाफ भी उन्होंने मुश्किल में टीम को संभाला और 20 गेंद पर नाबाद 26 रन बनाए। इसके अलावा मोहम्मद हफीज, जिनका गेंदबाजी आक्रमण कई बार निशाने पर रहा है, अब वापस बोलिंग कर रहे हैं। हफीज के गेंदबाजी करने से पाकिस्तान टीम को काफी मदद मिलती है। इसके साथ ही हफीज का अनुभव और चतुराई भी काफी काम आती है। पीएसएल के सितारे पाकिस्तान ने टी20 वर्ल्ड कप में एक पावरहाउस के रूप में शुरुआत की। उसने पहले तीन फाइनल खेले और एक जीता। लेकिन 2009 से पाकिस्तानी खिलाड़ियों को आईपीएल में खेलने की इजाजत नहीं है और तब उनक खेल में गिरावट आनी शुरू हुई। साल 2014 और 2016 में पाकिस्तान की टीम सेमीफाइनल तक नहीं पहुंच पाई। इसकी वजह यह भी रहा कि खिलाड़ियों को हाई-क्वॉलिटी का टी20 क्रिकेट खेलने को नहीं मिल रहा था। लेकिन 2015 में शुरू हुई पाकिस्तान सुपर लीग का असर अब नजर आना शुरू हो गया है। यह एक अहम टूर्नमेंट बन गया है। भारतीय खिलाड़ियों को छोड़ दें तो दुनिया के बाकी कई बड़े नाम पीएसएल में खेलते हैं। इस पीढ़ी के पाकिस्तानी खिलाड़ी मुश्किल टी20 मुकाबलों में दबाव का सामना करना और उससे निकलना सीख गए हैं।
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