Opinion: मेरीकॉम मेडल तो सिर्फ तमगा है...आप तो हमारी शान हैं...आप प्रेरणा हैं इस देश की आधी आबादी के लिए

नई दिल्ली मेरीकॉम आपने 130 करोड़ हिंदुस्तानियों का प्रतिनिधित्व किया उसके लिए आपको बहुत सारी बधाइयां। मेरीकॉम आपने दिखा दिया कि उम्र महज एक गिनती है जुनून के आगे गिनती कहीं नहीं टिकती। आपका नाम पहली बार तब सुना था जब आपने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की थी और संयुक्त राज्य अमेरिका, में आयोजित प्रथम एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप भाग लेकर 48 किलो वजन वर्ग में रजत पदक जीता था। ये सिलसिला यहां से जो शुरू हुआ था वो दिलचस्प था। इसके बाद आपको जानने की उत्सुकता बढ़ी। आपके बारे में पढ़ा, आपको देखा आपके संघर्ष से बहुत कुछ सीखने को मिला। आपको जब भी मौका मिला आपने भारत का स्वाभिमान बढ़ाया। इसके बाद आपने जब 2002 में तुर्की में दूसरी एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के 45 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीता उस वक्त तो पूरी दुनिया जान गई थी कि ये लड़की एक दिन इतिहास जरूर रचेगी। आपके नाम उपलब्धियों की एक लंबी फेहरिस्त है। आपके नाम पर कुल 6 विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप खिताब हैं जो बताते हैं कि आप कितनी बड़ी खिलाड़ी हैं। आप करोड़ों लोगों की प्रेरणा हैं। मेरी हर इंसान का एक सपना होता है जरूरी नहीं कि वो सपना पूरा ही हो जाए। हम सब जानते हैं कि आपके दिल में इस वक्त क्या चल रहा होगा। आपने तोक्यो ओलिंपिक में जाने के लिए बहुत त्याग किए। आपने 38 साल की उम्र में फिटनेस के मामले में सबको पछाड़ दिया। मेरी जब रेफरी ने मुकाबले के अंत में वालेंसिया का हाथ ऊपर उठाया, तो आपकी आंखों में आंसू थे और चेहरे पर मुस्कान थी। हम जानते थे कि आपकी आंखों में आंसू क्यों थे। आप इस बात से निराश नहीं थीं कि मेरीकॉम मैच हार गई है बल्कि आप इस बात से निराश थीं कि आप भारत के लिए मेडल नहीं पाईं। आपने कमाल खेला मेरी। पूरा देश आपके हर पंच पर वाह वाह चिल्ला उठता था। हम टकटकी लगातर आपके पंच देख रहे थे। आप जबरदस्त खेल रहीं थीं। आपने रिंग के भीतर घुमा घुमाकर विरोधी को थका दिया था। आपने दूसरा राउंड जीता और तीसरे राउंड में भी आप बहुत बारीक फासले से हार गईं। हार और जीत खेल का हिस्सा है ये आपसे बेहतर कौन जान सकता है। हार क्या होती है और जीत क्या होती है मैरीकॉम को इससे फर्क नहीं पड़ता और हां मैरीकॉम आप प्रेरणा हैं इस देश की आधी आबादी के लिए। हम देख रहे थे जिस तरीके से वालेंसिया पहली घंटी बजने के बाद भागी थीं, उससे लग रहा था कि यह मुकाबला कड़ा होने वाला है और ऐसा ही हुआ था मगर आप सहज थीं। आपके चेहरे के हावभाव बिल्कुल एक जैसे हैं। दूसरा मुकाबला जैसे ही आपने जीता हल्की से मुस्कराहट थी मगर वो मुस्कराहट दूसरे खिलाड़ी को चिढ़ा नहीं रही थी। बल्कि विरोधी खिलाड़ी भी सोच रही थी कि आप कितने सहज हैं। आपकी सहजता के हम सब कायल है। ये देश आपका हमेशा ऋणी रहेगा। आपने जो योगदान दिया वो अतुलनीय है।


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