नई दिल्लीभारतीय कप्तान ने अपने करियर में ज्यादा नाकामियां और उतार-चढ़ाव नहीं देखे हैं, लेकिन उनका कहना है कि ऐसा नहीं है कि वह इनसे प्रभावित नहीं होते। इसका हालिया उदाहरण भारत का इंग्लैंड में वनडे वर्ल्ड कप सेमीफाइनल मैच में हारना रहा जिसमें टीम को न्यू जीलैंड ने 18 रन से शिकस्त दी। विराट की कप्तानी में टीम इंडिया भले ही वर्ल्ड कप नहीं जीत पाई लेकिन लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही है। हाल में उसने टेस्ट में भी वेस्ट इंडीज, साउथ अफ्रीका और बांग्लादेश को मात दी। पढ़ें, नाकामी से होते हैं प्रभावितकोहली ने एक पत्रिका के साथ इंटरव्यू में कहा, ‘क्या मैं नाकामियों से प्रभावित होता हूं.. हां, होता हूं। हर कोई होता है। अंत में मैं एक बात जानता हूं कि टीम को मेरी जरूरत है। वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में मुझे लग रहा था कि मैं नॉटआउट लौटूंगा और अपनी टीम को इस मुश्किल दौर से निकाल कर लाऊंगा लेकिन हो सकता है कि वह मेरा अहंभाव हो क्योंकि आप भविष्यवाणी कैसे कर सकते हैं। आपके अंदर सिर्फ मजबूत अहसास हो सकते हैं या फिर इस तरह का कुछ करने की प्रबल इच्छाशक्ति।’ छोड़ना चाहते हैं विरासतवनडे और टेस्ट क्रिकेट में क्रमश: 11,500 और 7,202 रन बनाने वाले कोहली अपने पीछे एक विरासत छोड़ना चाहते हैं, जिसका अनुसरण आने वाले लोग करें। उन्होंने कहा, ‘मुझे हारना पसंद नहीं है। मैं बाहर आकर यह नहीं कहना चाहता कि मैं ऐसा कर सकता था। हम उस तरह की विरासत छोड़ना चाहते हैं कि आने वाले क्रिकेटर कहें कि हमें इस तरह से खेलना है।’ मैदान पर देना चाहता हूं सबविराट ने कहा, 'जब मैं मैदान पर कदम रखता हूं तो यह मेरे लिए खुशकिस्मती की बात होती है। जब मैं अपने खेल के बाद बाहर आता हूं तो मैं पूरी तरह थका हुआ होना चाहता हूं।'
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