नई दिल्ली अब यह तो तय हो गया है कि 22 नवंबर से भारत और बांग्लादेश के बीच कोलकाता के ईडन गार्डंस पर होने वाला टेस्ट मैच डे-नाइट होगा। दोनों ही टीमों का यह पहला डे-नाइट टेस्ट मैच होगा। आइए जानते हैं इस मैच से जुड़ी खास बातें... ठंड में मैच, ओस का असर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में यह 12वां डे-नाइट टेस्ट मैच होगा। और शायद ठंड के मौसम में खेला जाने वाला पहला टेस्ट मैच। क्रिकइंफो के मुताबिक पहले खेले गए 11 टेस्ट मैचों में से नौ गर्मियों में खेले गए और बाकी दो दुबई में हुए जहां ठंड ही नहीं पड़ती। अब ठंड में मैच होगा तो ओस का असर काफी देखने को मिल सकता है। इससे गेंद भारी और फिसलन वाली हो जाती है। ODI में हम अकसर ओस के कारण गेंद पर पड़ने वाले असर को देखते हैं। अब टेस्ट क्रिकेट में इसे कैसे मैनेज किया जाएगा यह देखना दिलचस्प होगा। भारत में पहले भी हुए हैं डे-नाइट फर्स्ट क्लास मैच भारत में इससे पहले 12 फर्स्ट क्लास मैच डे-नाइट खेले गए हैं। ये सभी मैच अगस्त और सितंबर में खेले गए थे। यहां तक कि इन मैचों में भी ओस को लेकर शिकायत की गई थी। सवाल गेंद का भारत में टेस्ट मैच के लिए एसजी कंपनी की गेंद का इस्तेमाल किया जाता है। कप्तान कोहली ने एक बार इस गेंद की क्वॉलिटी को लेकर नाखुशी जाहिर की थी। हालांकि साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज के बाद उन्होंने कहा था कि अब यह गेंद पहले से काफी बेहतर है। ऐसे में यह भी सवाल था कि इंग्लैंड में इस्तेमाल होने वाली ड्यूक या ऑस्ट्रेलिया की कूकाबुरा गुलाबी गेंद को बांग्लादेश के खिलाफ मैच के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन यह साफ हो गया है कि एसजी की पिंक बॉल से ही यह मैच खेला जाएगा। ग्रेटर नोएडा में इस गेंद से 2017 में फर्स्ट क्लास मैच खेला गया था। इसके बाद मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिली थीं। इसमें कहा गया था कि अंडर-लाइट्स गेंद साफ नजर आती थी लेकिन सांझ को जब आसमान नारंगी हो जाता है ऐसे में गेंद को पकड़ने में थोड़ी मुश्किल आती है। लेकिन सबसे बड़ी समस्या स्पिनर्स के साथ है। इस गेंद पर एक्सट्रा कोटिंग की जाती है जिससे स्पिनर्स के लिए यह बिलकुल भी फायदेमंद नहीं रहती। किसकी थी क्या राय क्रिकइंफो की एक रिपोर्ट कहती है कि दलीप ट्रोफी में खेलने वाले कुलदीप यादव ने कहा था कि चूंकि इस गेंद पर अधिक लेकर (लाह) की कोटिंग होती है इसलिए यह ज्यादा टर्न नहीं होती। ऐसा ही कुछ रिवर्स स्विंग के साथ होता है। इसी रिपोर्ट में युवराज सिंह कहते हैं कि बॉल को सही शेप में रखने के लिए अधिक लाह और मैदान पर अधिक घास रखी गई थी जिससे गेंद ज्यादा स्विंग और सीम होती है। 2016 में क्रिकेट असोसिएशन ऑफ बंगाल की सुपर लीग फाइनल में मोहम्मद शमी ने धमाकेदार बोलिंग की थी। उन्होंने 13.4 ओवरों में 42 रन देकर पांच विकेट लिए थे। तो क्या वक्त बदला जा सकता है? ओस के प्रभाव को कम करने के लिए एक सुझाव यह सामने आया है कि मैच शुरू होने के वक्त में बदलाव कर लिया जाए। इसमें कहा गया है कि दोपहर 1:30 के बजाए मैच 12 बजे शुरू कर लिया जाए। इससे लाइट्स में सिर्फ एक सेशन खेलना पड़ेगा। लेकिन इसमें भी एक पेंच है और वह यह कि इससे डे-नाइट टेस्ट का असली मकसद ही समाप्त हो जाएगा। डे-नाइट टेस्ट का असली उद्देश्य शाम के समय अधिक से अधिक लोगों को टेस्ट मैच देखने के लिए मैदान तक लाना है और अगर इसे जल्दी शुरू कर दिया जाए तो इस पर कहीं न कहीं असर पड़ता है।
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