नई दिल्ली कोई भी विदेशी टीम जब भारत में टेस्ट सीरीज खेलने आती है तो उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है- स्पिन गेंदबाजी का सामना करना। और बुधवार से विशाखापत्तनम में शुरू हो रही टेस्ट सीरीज के लिए साउथ अफ्रीकी टीम भी इसी चुनौती से रू-ब-रू होगी। क्रिकेट में बल्लेबाजों की नहीं गेंदबाजों की भी पार्टनरशिप होती है। साझेदारी जो विपक्षी खेमे में दोतरफा दबाव बनाती है। यानी सांस लेने की फुर्सत नहीं। और भारत के पास और के रूप मे फिरकी गेंदबाजों की जोड़ी मौजूद है। ये दोनों जब एक साथ, खास तौर पर भारतीय विकेटों पर साथ गेंदबाजी करते हैं तो सामने वाली टीम के पास बहुत कम विकल्प बचते हैं। क्रिकेट में गेंदबाजों की जोड़ियां काफी कारगर रही हैं। नब्बे के दशक में जब वसीम अकरम और वकार युनिस की जोड़ी तेज रिवर्स स्विंग और इनस्विंगिंग यॉर्कर से दुनियाभर के बल्लेबाजों की गिल्लियां बिखरते थे। ऑस्ट्रेलिया के लिए शेन वॉर्न और ग्लेन मैक्ग्रा की जोड़ी थी। एक की फिरकी और दूसरे की सटीकता बल्लेबाजों को राहत की सांस नहीं लेने देते। खुद भारत के पास अनिल कुंबले और हरभजन सिंह की स्पिन जोड़ी थी। सौरभ गांगुली तो कह ही चुके हैं कि भारत में टेस्ट मैच के दौरान आप कुंबले और हरभजन को गेंद थमाकर आराम से खड़े हो जाइए। वे सारा दिन गेंदबाजी भी करते रहेंगे और अपने आप फील्ड भी लगा लेंगे। यह बात भारतीय विकेटों पर स्पिनर्स की भूमिका दिखाती है। टेस्ट मैच आपको गेंदबाज जिताते हैं और भारत में होने वाली टेस्ट सीरीज में स्पिनर्स की भूमिका और ज्यादा बढ़ जाती है। दमदार है जोड़ी अश्विन और जडेजा ने एक साथ सिर्फ 28 टेस्ट मैच खेले हैं और इनमें से भारत ने 21 जीते हैं और 6 मैच ड्रॉ रहे हैं। यानी सिर्फ एक मैच में भारत को हार मिली है। ने इन 28 टेस्ट मैचों में 171 विकेट लिए हैं, यानी हर टेस्ट में छह से ज्यादा बल्लेबाजों को शिकार बनाया है। वहीं जडेजा के नाम इन 28 टेस्ट मैचों में 144 विकेट हैं। स्टाइल है जुदाअश्विन यूं तो ऑफ स्पिनर हैं लेकिन वह अपनी गेंदबाजी में लगातार नए तीर जोड़ते रहते हैं। कभी कैरम बॉल, कभी स्लाइडर तो कभी बीच-बीच में वह लेग स्पिन भी फेंक देते हैं। हालांकि खुद अश्विन भी कई बार कह चुके हैं कि दूसरे छोर पर जडेजा की मौजूदगी उन्हें इस तरह के प्रयोग करने की आजादी देती है। अश्विन को हालांकि वेस्ट इंडीज में टेस्ट सीरीज में खेलने का मौका नहीं मिला था और साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज में वह दिखाना चाहेंगे कि उनके तरकश के तीरों में अब भी काफी दम है। वहीं अगर जडेजा की बात करें तो उनकी गेंदबाजी लगातार बेहतर होती जा रही है। वह अच्छी बल्लेबाजी विकेटों पर लाइन और लेंथ पकड़कर रखते हैं और बल्लेबाजों को काफी कम मौके देते हैं और अगर विकेट से उन्हें मदद मिल रही हो तो वह बेहतर से बेहतरीन हो जाते हैं। भले ही उनकी गेंद बहुत ज्यादा टर्न न लेती हो लेकिन बल्लेबाज को छकाने के लिए वह काफी होता है। पिछली बार भी साउथ अफ्रीका को छकाया थासाउथ अफ्रीकी टीम जब पिछली बार (2015) में भारतीय दौरे पर आई थी तब 4 टेस्ट मैचों की सीरीज में अश्विन ने 31 और जडेजा ने 23 विकेट लिए थे। यानी विपक्षी टीम के गिरने वाले कुल 70 (सीरीज का एक मैच बारिश की वजह से धुल गया था) में से 56 विकेट इस जोड़ी के नाम रहे थे। अश्विन बना सकते हैं ये रेकॉर्डअश्विन अगर विशाखापत्तनम टेस्ट में 8 विकेट ले लेते हैं तो वह सबसे कम टेस्ट मैचों (66) में 350 विकेट पूरे करने के मुथैया मुरलीधरन के रेकॉर्ड की बराबरी कर लेंगे। वहीं जडेजा अगर पूरी सीरीज में सिर्फ दो विकेट ही ले लेते हैं तो सबसे कम मैचों में 200 टेस्ट विकेट लेने वाले बाएं हाथ के गेंदबाज बन जाएंगे। रंगना हेराथ (श्रीलंका) ने 47 टेस्ट मैचों में यह मुकाम हासिल किया था। जडेजा के नाम 43 मैचों में 198 विकेट हैं। हालिया फॉर्मनवंबर 2017 से इन दोनों गेंदबाजों ने क्रमश: 50 और 43 विकेट लिए हैं। इस दौरान भारतीय टीम ने अधिकतर मुकाबले विदेशी दौरों पर खेले हैं, जहां स्पिनर्स के लिए ज्यादा मदद नहीं होती। पर अब सीरीज भारत में है और यहां यह जोड़ी कप्तान विराट कोहली के लिए बहुत मददगार होगी।
from Sports News in Hindi: Latest Hindi News on Cricket, Football, Tennis, Hockey & more | Navbharat Times https://ift.tt/2o9DZ7A
Comments
Post a Comment